अंधियारे पक्ष को उद्घाटित करने का साहस
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श्री शशिकांत सिंह 'शशि' मेरे प्रिय व्यंग्यकारों में शुमार हैं। उनको पढ़ते हुए और उनसे बातें करते हुए मुझे लगता रहा है कि उनके लेखन और व्यवहार में फांक नहीं है। वे एक जैसे हैं। सही और गलत को वे न लिखने से चूकते हैं और न कहने में। उन्हें निज हित की नहीं, जन हित की चिंता है और वे खतरे उठाकर भी ईमानदारी के साथ पूरे दमखम से आज के समय के अंधियारे पक्ष को तीखेपन के साथ उद्घाटित करने का साहस कर रहे हैं।
- बुलाकी शर्मा
1. समरथ को नहिं दोष (व्यंग्य संग्रह)- 2001
2. ऊधो! दिन चुनाव के आए (व्यंग्य काव्य )- 2005
3. बटन दबाओ पार्थ (व्यंग्य संकलन)- 2013
4. सागर मंथन चालू है - (व्यंग्य संकलन)-2016
5. प्रजातंत्र के प्रेत - (व्यंग्य उपन्यास)-2017
6. दीमक - (व्यंग्य उपन्यास)-2017
7. जोकर जिंदाबाद (व्यंग्य संकलन) 2018
8. गौर तलब व्यंग्य- ( व्यंग्य संकलन) 2018
9. व्यंग्य शतक (व्यंग्य संकलन) 2019
10. मंडी में ईमान- (व्यंग्य संकलन) 2022
11. सुखना (व्यंग्य उपन्यास)- 2023

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