संतुलित शब्दों में प्रभावी व्यंग्य
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अरुण जी के लेखन में हमें व्यंग्य की अमूमन समस्त विशेषताएं यथा- व्यंग्यात्मक भाषा-शैली, हास्य, कटाक्ष एवं सबसे ऊपर भावनाओं को आहत किए बिना लिखा गया व्यंग्य देखने मिल जाता हैं। उनके लेखन में मुख्यतः वर्तमान सामाजिक रहन-सहन, जीवन-शैली, आधुनिक टेक्नॉलजी का समाज पर प्रभाव जैसे विषय बहुतायत में देखने में आते हैं, साथ ही वे हास्य का पुट रखते हुए सधी हुई भाषा में अपनी बात कह जाते है। यह भी देखने में आता है कि उनके लेखन का उद्देश्य आलोचनात्मक न होकर मात्र स्थितियों को प्रस्तुत करना है, साथ ही वे अपने व्यंग्य के द्वारा किसी समाज सुधारक की तरह भी व्यवहार नहीं करते। मात्र सहज साधारण शैली में अपनी बात एक हल्के-फुल्के हास्य के साथ सामने रख देते हैं जिस के द्वारा उनका सहज उद्देश्य मनोरंजन ही प्रतीत होता है जो व्यंग्यात्मक रहकर आलोचनात्मक न होते हुए भी विचरण हेतु मुद्दे प्रस्तुत कर देता है।
- अतुल्य खरे
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#पंचकाका_कहिन
अरुण अर्णव खरे के पांच व्यंग्य संग्रह -
● हैश, टैग और मैं - 2018
● उफ्फ! ये एप के झमेले - 2020
● एजी, ओजी, लो जी, इमोजी - 2023
● मेरे प्रतिनिधि हास्य-व्यंग्य - 2024
● डियर, तुम बुद्धू हो - 2025

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